Panchpargania Mantra Ker 1 Ta Best Chinhaf

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Panchpargania Mantra :- जोहार संगी-साथी, जदि तहरे पंचपरगनिया भासा केर पढ़ाइ कराला चाहे जे.एस.एस.सी. चाहे JPSC चाहे झारखंड केर कन’ अइन प्रतियोगिता परीक्षा केर तेआरि कराला त हामरेक Panchpargania Mantra जरूर पढ़ा । इटाएँ Panchpargania Mantra केर जानकारी बहुत सुंदर भाभे देल जातेहे। जोहार लेगे।

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Panchpargania Mantra

Panchpargania Mantra केर अरथ’

मंतर’ केर साब्दिक अरथ’ हएला – बिचार चाहे चिंतन करना । एकर आलाउआ मंतर’ केर अरथ’ हएला मनन केर दाराए तारान एआनि मनन केर दाराए उधार करना । जेकर जाप करले मानब जिबन केर कस्ट’ धुर ह’एला, लउकिक परलउकिक कस्ट’ ले मुक्ति मिलेला आर परमात्मा संग मिलन हएला । उटाकेइ मंतर’ कहल जाएला ।

Panchpargania Mantra केर परिभासा

मंतर’ एक परकार केर बानि हेके, किंतु साधारन बाइक केर रकम इगलाएँ हामरेके बंधने नि डालेला बल्कि बंधन ले मुक्त’ करेला । चिंतन मनन केर बादे कन’ सम’इसा केर सामाधान करेक तेहें जे उपाइ/बिधि/जुक्ति करल जाएला उटाकउ मंतर’ कहल जाएला ।

मंतर’ असन धउनि हेके जेगिला आछर आर सब्द’ केर समुह ले बनेला । आर इ समुह ले कन’ अदिरिस सक्ति के डाकेक चाहे मानब केर अलउकिक/लउकिक सम’इसा गिला के धुर करेक तेहें मानब जिबन मेंहेन चाहे लउकिक जिबन मेंहेन बेब’हार करल जाएला ।

Panchpargania Mantra केर भाग

सामाइन’ रूपे मंतर’ केर तीन भाग आहे 1. बेदिक मंतर’ 2. तांतिरिक मंतर’ आर 3. साबरि मंतर’

बेदिक मंतर’ :-

बेदिक मंतर’ उ मंतर’ गिला हेके जेगिलाके बेद मेंहेन लिखल जाए आहे । अग्नि, इनदर’ बरून एमाइन जेगिलाइ बेद मेंहेन पढ़िला उग्ला बेदिक मंतर’क भितरे आएला । इ मंतर’ गिलाक सिधि करना बहुत मुसकिल हेके किंतु ज’दि कन’ साधक इ मंतर’ गिलाके सिधि कइर लेला त’ उ समपुरन’ जिबनकाल इ मंतर’ गिलाक लाभ ले पारेला ।

इ मंतर’ गिला एकधं सिध हल परे साधक केर संग कबउ नाइ छाड़ेला । बेदिक मंतर’ संस्कृत मेंहेन लिखल रहेला । इ रकम इग्लाक बेब’हार देबि-देअता, रिसि-मुनि आर समाइन’ सांसारिक ल’ग आपन पुजा-पाठ मेंहेन करंएला ।

तांतिरिक मंतर’ :-

तांतिरिक मंतर’ बेदिक मंतर’ ले बेसि चांड़े सिध ह’एला । आर साधक के चांडे़इ एकर परभाअ देखाए देला । तांतिरिक मंतर’ केर बिसेसता इटा हेके कि इ जेतना चांड़े सिधि ह’एला अतना चांड़े मंतरक गलत बेब’हार करले नस्टउ हए जाएला । आर एकर गलत परिनाम’ साधक के भ’गे ह’एला । तांतिरिक मंतर मेंहेन 10 माहाबिद्दा, 64 ज’गिन, भएरब साधना, गंधरब’ साधना, एमाइन मुइख हेके ।

बेदिक मंतर’ मेंहेन साधक आपन देबि-देअता के पाराथाना, पुजा एमाइन करेला हुआँइ तांतिरिक मंतर’ मेंहेन साधक आपन इस्ट’ के उपास्नाउ करेला आर काम टा चांड़े सफल ह’उक तेहंे ढेइर रकम केर अपाराकिरतिक अनुस्ठान’ करेला ।

तांतिरिक साधना मेंहेन बसिकरन, बिदबेसन, उचाटन, मारन, सांति, आर इस्तंभन एमाइन साधना गिला ह’एला । जेगिलाके षटकर्म कहल जाएला ।

Panchpargania Mantra
Panchpargania Mantra

साबरी मंतर’ :-

एसन कहल जाएला कि जखन करिलजुग आत रहे उख’ने सिब भगमान बिचार करलएँ कि जे संासारिक ल’ग आहएँ उमन कठिन सल’क केर उचारन नि करे पारबएँ, अहे तेहें सिधि के तनिक आसान बनाल जाउक, त’ एसन कहल जाएला कि साबरी मंतर’ केर बनाइआ श्री गुरू गोरखनाथ जी हेकएँ । आर इमन केर गुरू मछेन्द्र नाथ जी रहएँ । एमनेइ श्री गुरू गोरखनाथ जी के गेआन दे रहएँ ।

साबरी मंतर’ एसन मंतर’ ह’एला जेगिला पहिल लेइ सिध रहेला । इग्लाके बहुत बेसि सिधि करेक दरकार नि ह’एला । इग्ला 21 दिन, 41 दिन मेंहेन सिध ह’ए जाएला आर इग्लाक परिनाम’ बहुत चांड़ेइ मिलेला ।

किंतु जेतना चांड़े सिधि ह’एला अतना चांड़े गलत बेब’हार करले नस्ट’उ ह’ए जाएला । साबरी मंतर’ हिंदी भासा चाहे कन’ छेतर’ केर ल’क पर’चलित भासा मेंहेन लिखल आहे, अहे तेहें इ मंतर’ गिलाके कन’इ भी जन साधारन मानुस आसानि ले उचारन करे पारेला आर एकर बेब’हार कइर सकेला । इ मंतर’ गिलाक बेसि कइर कहन सुरूज गर’हन, चांद गर’हन चाहे नब’रातरि केर दिने करल जाएला ।

पाँच परगना छेतर’ मेंहेन ज’तनाइ मंतर’ आहे उग्लाके एहे बरगक भितरेइ राखल जाए पाराए किंतु किछु तांतरिक मंतरउ इ छेतर’ मेंहेन बेब’हार करल जाएला।

इ भाभे पांचपरगनाक मंतर’ के सामुहिक रूपे इ रकम बांटल जाए पाराए जेगिलाक बेब’हार अ’झा, गुनि, स’खा, देउना, भगत ल’ग बेसि भाभे ल’ग केर सांति करम’ करेक तेहें कर’एना –

क. गुरू इसमरन मंतर’
ख. डर हाटाएक मंतर’
ग. बिस झाड़ेक मंतर’
घ. बसिकरन मंतर’,
ङ. मारन मंतर’
च. अनिस्ट’ निबारन मंतर’
छ. र’ग गुचाएक मंतर’

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Panchpargania Mantra सारांश

इ रकम पंचपरगनिया भासा मेंहेन मंतरक ढांगा परंपरा आहे जेगिला सुइध रूपे पंचपरगनिया भासाए नेखे, बल्कि बांगला, उड़िया एमाइन भासा मेंहेन आहे । पाँच परगना छेतर’ मेंहेन एखन’ मंतरक बेब’हार पारमपरिक रूपेइ ल’गेक जनकंठे बिराजमान आहे ।

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पंचपरगनिया सइंगा, सरब”नामबिसेसन, धातु ,भासाक तेहें वेयाकरण केर दरकार, अंतस्थ बरन’,  पंचपरगनिया लिपि जाला, अब्ब’ए समास, कारक


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