Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 3

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Panchpargania Adhunik Sahityakar  हिंआ एक लाइनर केर रूपे देल जातेहे, संगी-साथी त’हरे जदि जे.एस.एस.सी केर तेआरि क’राला, चाहे पंचपरगनिया भासा केर प’ढ़ाइ क’राला त’ निचित रूपे इ एक लाइनर प’इंट गिला काम आइ। आसा आहे तोहरे स’उब लाभ उठाबा

Panchpargania Adhunik Sahityakar डाॅ0 करम चन्द्र अहीर

डाॅ. करम चन्द्र अहीर पंचपरगनिया साहित मेंहेन एकटा एसन नाम हेके जेकर बारे जतिक कहल जाइ अतिक कम ह’इ। इमन पंचपरगनिया साहित आर भासा केर तेहें एकटा मस्त’ खुंटा हेकएँ जेकर आस-पास ले पंचपरगनिया भासा साहित एखन तक केर अब’सथा तक पहुंचि आहे। इमन केर अथक मेहनत आर मिरदु भासि बेब’हार केर तेहें इमन के अनेक संसथा ले पुरूसकार मिल आहे। सिछा केर छेतर’ मेंहेन नामजादि काम करेक कार’ने रउर के रासट’पतिक हांथे सम्मानित करल जाए आहे।

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Panchpargania Adhunik Sahityakar

Panchpargania Adhunik Sahityakar डाॅ. करम चन्द्र अहीर जि केर बारे किछु एक लाइनर डांडि़

डाॅ. करम चन्द्र अहीर पंचपरगनिया भासा साहित रूपी घर केर मुरधेइन खुंटा हेकएं। इमन केर बारे जानना कन’इ भी पंचपरगनिया भासा पेरेमी के जरूरी हेके। हेंठे किछु एक लाइनर रूपे देखाल जातेहे जेगिला परतिज’गि परीछाक नज’इरे आब’इसक हेके-

  •  जनम – 12 मार्च 1949
  •  बापेक नाम – शम्भूनाथ अहीर, माँएक नाम – चैती देवी
  •  गाँव – फुलवार (राहे)
  •  सुरूक पढ़ाइ – उच्च प्राथमिक विद्यालय फुलवार, मिडिल – एम. भी. विद्यालय राहे,
  •  प्रवेशिका – 1967, रा.उ.वि. राहे,
  •  आइ0ए0 – 1969
  •  स्नातक (हिंदी) – 1972, बिरसा काॅलेज खूंटी,
  •  बी.एड.- 1974, राँची विश्वविद्यालय, राँची,
  •  एम.ए. – 1977, राँची विश्वविद्यालय, राँची,
  •  पीएच.डी. – 2003 (पंचपरगनिया भाषा का व्याकरणिक अध्ययन) जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय राँची ।
  •  पंचपरगनिया भासा केर आपन लिपि गढ़’इआ हेकएँ । गार’ स’ लेक बेसि लगेक मंतइब केर आधारे एकर नाम ‘‘झाड़’’ लिपि राखलएँ ।
  •  डाॅ0 करम चन्द्र अहीर जी के पाँच परगनाक गाँधी कहल जाएला ।
  •  ‘‘पाँचपरगनाक गाँधी’’ केर उपाधि इमन के राजकिशोर साहु जी दे आहएँ ।
  •  राजकिशोर साहु इमन के पाँचपरगनाक रतन’उ कइ आहएँ ।
  •  सहायक शिक्षक रूपे ज’गदान – 29.04.1974 (उ.वि. रूगड़ी, तमाड़)
  •  सरकारी सेवा – 29.04.1974 लेक 31.03.2009 तक ।
  •  अंसकालिन व्याख्याता पी.पी.के. काॅलेज बुण्डू 1979 लेक 1983 तक ।
  •  व्यस्क शिक्षा परियोजना पदाधिकारी सत्र 1983 लेक 1993 तक डुमरिया सह मुसाबनी (पु.सिंहभूम) ।
  •  पंचपरगनिया भासा केर एक मातर’ परतिनिधि पतरिका बिहान केर मुइख संपादक हेकएँ ।
  •  बिहान पतरिका केर एखन तक मातर’ 6 टा अंक परकासित हए आहे ।
  •  25 जनवरी 1982 माहान पंचपरगनिया भाषा विकास समिति बुंडु केर थापना करलएँ ।
  •  ‘‘पाठ्यपुस्तक अनुमोदन कार्यशाला’’ केर आएअ’जन मेंहेन नामकरा जगदान रा.म.वि. कापीडीह (सोनाहातु प्रखण्ड) मेंहेन 28.01.01 लेक 01.02.01 तक ।
  •  दिनाँक 01.02.2001 मेंहेन पंचपरगनिया भाषा शिक्षक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान केर थापना चन्दनडीह राहे मेंहेन करलएँ ।
  •  परथम ‘‘पाँचपरगना महोत्सब’’ 05.03.2002 मेंहेन चन्दनडीह राहे मेंहेन करूआए रहएँ ।
  •  अंधविश्वास, निरक्षरता, परिवार नियोजन, काठ तस्करी आर अइन’ जागरूकता आधारित पंचपरगनिया फिलिम ‘‘मन केर भूत’’ केर निरमान 2001 इसबिए वैदेही फिल्म लिमिटेड केर दाराए करूआलएँ । जेटाक निदेशक प्रो0 अशोक शर्मा हेकएँ ।
  •  इमन केर अथक मेहन’ते सोसाइटी एक्ट 21,1860 केर अधीने 22 मार्च 2003 माहान पंचपरगनिया भाषा विकास केन्द्रीय समिति , बुण्डू, राँची (झारखंड) केर पंजीकरन हलक ।
  •  व्यस्क शिक्षा परियोजना पदाधिकारी केर रूपे इमन मुसाबनी प्रखंड केर तुम्बाजुड़ी आर पटका प्रखंड केर तिरीलडीह गांव के ‘‘पूर्ण साक्षर गा्रम’’ केर दरजा देवाए रहएँ ।
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सम्मान –

  • ‘‘अखड़ा’’ सम्मान – 2006 (झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा)
  • सफदर हाशमी पुरस्कार – 2003 (भारतीय जन नाट्य संघ /इप्टा)
  • राष्ट्रपति पुरस्कार –
  • भारत ज्योति अवार्ड –
  • राष्ट्रीय गौरव अवार्ड –
  • राजीव गाँधी एक्सेलेंस अवार्ड –
  • भारत विद्या ज्योति अवार्ड –
  • द बेस्ट सिटीजन आॅफ इण्डिया अवार्ड –
  • बाबाजी संग्रहालय अवार्ड –
  • माधव पुरस्कार –
  • भारत गौरव अवार्ड –

किरति

  • आदर्श पंचपरगनिया व्याकरण – 14 जनवरी 2006
  • पंचपरगनिया निबंध-संग्रह – 16 दिसंबर 2011 (संपादन, कैलाश सेठ संग)
  • मेसाकोसा भाग-2 – अक्टुबर 2011 द्वितीय संसकरन (संपादन, गोरेन्द्र नाथ गोंझू, राजकिशोर साहुक संग)
  • ऊँजरा भइर फूल भाग-2 – जून, 2012, द्वितीय संस्करन (संपादन, प्रो0 जगन्नाथ सिंह मुण्डाक संगे)

Panchpargania Adhunik Sahityakar राजकिशोर सिंह ‘‘बुंडूआर’’/किशोर/पाँचपरगनाक असताद

राजकिशोर सिंह पंचपरगनिया आधुनिक साहित जगत मेंहेन ‘‘राज’’ कर’इआ एसन ‘‘सिंह’’ (पंचपरगनिया साहित जगत केर राजा) हेकएँ जेमने केर लिखल एक-से-एक साहित रचना ले पंचपरगनिया भासा साहित अहाँ छुआ ले ‘‘किशोर’’ अब’सथा पहंचि गेलक। धइन’ आहे पाँचपरगनाक माटि के जाहाँ ‘‘राजकिशोर सिंह’’ रकम साहितकार के जनम दे आहे।

इमन ना किबल साहितकार रहएँ, बलकि एकटा नामि संगितकार, कलाकार, बाजनदार आर सामाजसेबिअ रहएँ। बनेक राजा जेसन ‘‘सेर’’ हेकएँ असने पंचपरगनिया साहित जगत केर इमन ‘‘राजा’’ हेकएँ। इमन केर लिखल रचना गिला एखन पंचपरगनिया साहित जगत मेंहेन बनेक सिंह रकम दाहाड़ मारे लाइग आहे।

Panchpargania Adhunik Sahityakar राजकिशोर सिंह ‘‘बुंडूआर’’/किशोर/पाँचपरगनाक असताद जि केर बारे किछु एक लाइनर डांडि़

इमन केर बारे किछु एक लाइनर डांडि़ देल जा तेहे जेटा झारखंड केर कन’इ परतिज’गिता परीछाक नज’इरे बहुत कामि ह’इ –

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  •  जनम – 13 अक्टुबर 1956, गाँव – बुंडू, मरन – 30 अक्टुबर 2020
  •  बापेक नाम – राधागोविन्द सिंह, माँएक नाम – राधा रानी सिंह
  •  प्रारंभिक इसकुल – बंुडू केर राधारानी इसकुले ।
  •  इंटर – पी0पी0के0 काॅजेज बुंडू ले ।
  •  लालन पालन बांगला परिबेसे हए रहे ।
  •  छटे खिन लेइ साहित, संगीत आर चित्रकारी मेंहेन रूचि रहे ।
  •  संस्था संग जुड़ाव – ‘‘पंचपरगनिया भाषा विकास समिति’’, ‘‘स्वर संगम’’, ‘‘पंचपरगनिया सांस्कृतिक मंच’’ ।
  •  मुक्त छंद मेंहेन रचना कर’इआ पंचपरगनियाक पहिला रचनाकार । (रचना-एकटा अनुभव)
  •  बेमातरिक छंदे इमनेइ पहिल रचना कइर आहएँ । (रचना-दरद)
  •  पंचपरगनिया भासा केर पहिला आर एक मातर’ ‘माहाकाइब’ ‘‘सिबुबारात’’ इमनेइ रचना कइर आहएँ ।
  •  पंचपरगनिया केर पहिला उपेनास ‘‘इंजत’’ इमनेइ लिख आहएँ ।
  •  पंचपरगनिया केर पहिला नाटक ‘‘चेंग मुडि़ कानि’’ इमनेइ लिख आहएँ ।
  •  जीबन पथेक फुल (1990) मेंहेन इमनेक 16 टा कबिता छापाए आहे ।
  •  इमन केर सतंतर’ रूपे किताब 1912 इसबिए पइद बिधाएँ छापाए रहे जेकर नाम ‘‘नावा सोंच’’ हेके (20 टा कबिता) ।
  •  राम चरित मानस केर बाल कांड के पंचपरगनियाए अनुवाद कइर आहएँ, आर अहे छंदे जे छंदे गोस्वामी तुलसी दास कइर आहएँ ।
  •  ‘‘सिबुबारात’’ महाकाइब के न’ टा पाला आर चाइर छंदे लिखल जाए आहे । चाइर टा छंद हेके – दुइपदी, त्रिपदी, पयार आर लयात्मक छंद ।
  • ‘‘चेंग मुड़ी कानि’’ मनसा माता केरे दसरा नाम हेके । मनसा माता के साँप केर देबीअ कहल जाएला ।
  •  पंचपरगनिया लोकगीत के 14 भोलुम मेंहेन केसेट रूपे बाहराइआ इमनेइ हेकएँ ।
  •  इमन केर अनुजाइ – ‘‘स्वर लिपि टाइ एकटा एसन माइधम हेके जेकर दाराए लोकसंगीत केर सुर गिला के बिलुप्ति लेक बांचाए पाराइ ।’’
  •  तीनटा भासाक फिलिम मेंहेन इमन गित, संगीत आर गितकाब’ कइर आहएँ –
  1. कुंवार मांई (भोजपुरी)
  2. मन केर भुत (पंचपरगनिया)
  3. सालो कर सपना (नागपुरी)
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इमन केर रचना –

  1. नावा सोंच – 2012 (कबिता) 20 टा कबिता
  2. इंजत – (उपइनास)
  3. मां माटी मानुस – (उपइनास)
  4. तुलसी चउरा – (निबंध) 25 टा निबंध
  5. चेंग मुड़ी कानि – (नाटक)
  6. पंचपरगनिया सुर लिपि –

सम्मान –

  1. सन् 1980 मेंहेन श्री लक्ष्मी नारायण कला मंदिर समेया गढ़, मोकामा पटना केर दाराए सम्मानित ।
  2. सन् 1996 इसबिए जिला असत’रीअ लोकगीत परतिज’गिता मेंहेन परथम अस्थान ।
  3. 1996 इसबिए कला आर साहित मंच खूँटी केर दाराए सम्मानित ।
  4. बुंडू अनुमंडल गौरव सम्मान – 2005 इसबिए ।
  5. पाँचपरगना गौरव सम्मान – 2005 इसबिए ।
  6. सन् 2006 इसबिए गोवर्धन सेवा संस्थान, रांगामाटी सिल्ली केर दाराए सम्मानित ।
  7. सन् 2010-11 मेंहेन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखण्ड सरकार बेटे लेक सम्मानित ।
  8. 2014-15 मेंहेन संस्कृति बिहार बेटे लेक सम्मानित ।
  9. अखडा सम्मान – 2017, झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति बेटे लेक ।

इ रकम इ आर्टिकल टा jssc केर कोनो परीछा चाहे पंचपरगनिया पठन पाठन करोइया छुवाक तहें लाभदायक होइ


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