Panchpargania Adhunik Sahityakar हिंआ एक लाइनर केर रूपे देल जातेहे, संगी-साथी त’हरे जदि जे.एस.एस.सी केर तेआरि क’राला, चाहे पंचपरगनिया भासा केर प’ढ़ाइ क’राला त’ निचित रूपे इ एक लाइनर प’इंट गिला काम आइ। आसा आहे तोहरे सोउब लाभ उठाबा
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Panchpargania Adhunik Sahityakar ज्योतिलाल महादानी
पंचपरगनिया आधुनिक साहितकार मइधे ज्योतिलाल महादानी केर नाम एकटा नामकरा आर परथम गइदकार केर रूपे जानल जाएला। इमन पंचपरगनिया आधुनिक साहित के एकटा नावा डहर देलएँ आर गइद-लेखन परंपरा केर परथम उथानकाल केर परथम गइद लेखन करलएँ
इमन पंचपरगनिया आधुनिक साहित केर भिनु-भिनु बिधाएं जेसन-निबंध, कहनी, जिबनि, एकांकि, संसमरन एमाइन मेंहेन रचना कइर कहन पंचपरगनिया गइद साहित के एकटा नावा डहर देखालाएं। इमन केर रचना गिला उ सम’इ केर ‘आदिवासी पत्रिका’ माहान छापात रहे। एखन इमन केर लिखल आरटिकल गिला के जहड़न करल जाए आहे जेटा ‘‘नुपुर’’ मेंहेन देखे पावाएला।
Panchpargania Adhunik Sahityakar ज्योतिलाल महादानी जि केर बारे किछु एक लाइनर डांडि़
इमन केर बारे किछु एक लाइनर डांडि़ देल जा तेहे जेटा झारखंड केर कन’इ परतिज’गिता परीछाक नज’इरे बहुत कामि ह’इ –
- पंचपरगनिया केर पहिला गइदकार ।
- जनम – 16 सितम्बर 1933
- मरन – 23 दिसम्बर 2010
- बापेक नाम – कुंज बिहारी महादानी
- माँएक नाम साठुबाला देवी
- आठ बछरेक उम’इरे बापेक मिरतु ।
- तीन भाइएक मइधे सउबले छ’टे रहएँ ।
- पेट चालाएक तेहें पान दकान खइल रहँए । हिंआइ पढ़ाइ लिखाइ करत रहएँ ।
- इमन एहे पान घुंटि मेंहेन बांगला, हिन्दी आर पंचपरगनिया साहित केर अइधन कइर रहएँ ।
- इमन जखन पंचपरगनिया केर किबल पइद रचना रहे से सम’इए गइद रचना लिखे सुरू कइर रहएँ ।
- इमन केर लिखल आलेख ‘‘आदिवासी’’ (सापताहिक) पतरिका मेंहेन छापात रहे ।
- झारखंड मेंहेन आदिवासी पतरिका से समइ केर एक मातर’ ‘‘भासा साहित आर संसकिरति’’ केर परतिनिधि पतरिका रहे ।
- से सम’इए आदिवासी पतरिका केर संपादक श्री राधाकृष्ण जी रहएँ ।
- माहादानी जी के एक बार राधाकृष्ण जी चिठी लिख रहएँ – ‘‘ पाँचपरगना में छिपे साहित्य को उजागर कर आप आपने को धन्य बना दें ।’’
- माहादानीक लेखन केर तेहें दसरा भासाक बिदुआन जेसन नागपुरी केर प्रफुल्ल कुमार राय, योगेन्द्रनाथ तिवारी, डाॅ0 बिसेश्वर प्रसाद केशरी, डाॅ0 श्रवण कुमार गोस्वामी एमाइन सउब ज्योतिलाल माहादानी जी के चिठिक माइधमे साबासी दे रहएँ ।
- माहादानी जी आपन रचना गिला के ‘जय झारखंड’ ‘राँची एक्सप्रेस’ आर बांगाल केर ‘क्षत्राक’ पतरिका माहनउ छापाए रहएँ ।
- ज्योतिलाल महादानीक मुइख रचना जेगिला आदिवासी पतरिका माहने छापाए रहे – बाघ आर सियार, माटिर संगे खेला, श्री राम किसट’ गांगुली, परिबरतन, पंचपरगनिया और उसका साहित्य, बुद्धि और शक्ति, कमला मुण्डा, गोड़ाडीह का बनंाचल, कोयल घोसला नहीं बनाती, मुण्डाओं का क्षेत्र धरमपुर, सिल्ली, पाठशाला में नाम लिखाया, दहेज की शादी, आठावाँ पुत्र, खुदीराम सिंह, प्रगति की ओर बढ़ता गाँव, रास और लोक कवि, गीत गोबिंद बइठकी, समय का फेर, डायन, भाई का प्यार, रास और गौरांगिया का दधि संवाद, लोक कवि बरजुराम, पाँचपरगना में सहरई, पंचपरगनिया साहित्य में बिनंद सिंह का योगदान, लोक कवि विनोद सिंह एमाइन ।
- ज्योतिलाल महादानीक इ रचना गिला लगभग 1960-1962 केर भितरे ‘‘आदिवासी’’ पतरिका मेहेन छापाए रहे ।
- ज्योतिलाल महादानी जी 1970 मेंहेन सिल्ली केर राधिका मएदाने ‘‘छोटानागपुर लोक साहित्य सम्मेलन’’ केर आएअ’जन कइर रहएँ ।
- इटाके प्रफुल्ल कुमार राॅय ऐतिहासिक सम्मेलन कइ रहएँ ।
- ज्योतिलाल महादानीक तेहें डाॅ0 विसेश्वर प्रसाद केशरी जी केर कथन – ‘‘छोटानागपुर साहित केर रउरे एकटा समरपित कारज’करता हेकी ।’’
- 1982-1984 मेंहेन जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभागे जखन स्नातक’तर केर पढ़ाइ सुरू हलक तखन इमन बाह्य परीछक केर रूपे पंचपरगनिया भासा कर परतिनिधित कइर रहएँ ।
- 1989 मेंहेन जनजातीय एवे क्षेत्रीय भाषा विभाग बाटे ले इमन के सम्मानित करल जाए रहे ।
- 14 अक्टुबर 2003 इसबि माहान इमन के देवेन्द्र माँझी स्मृति सम्मान लेक सम्मानित करल जाए रहे ।
- 1978 इसबि केर पंचायत चुनावे सदइस चुनाए जाए रहएँ ।
- डाॅ0 पराग किशोर सिंह जी इमन के पाँचपरगनाक रतन’ कइ आहएँ ।
Panchpargania Adhunik Sahityakar परमानंद महतो (प्रेमा/प्रेम)
पंचपरगनिया भासा केर आधुनिक साहितकार मइधे परमानंद महतो एकटा नामकरा आर दढ़’ खुंटा हेकएं। इमन केर कलम साहित केर नाना रकम बिधाएं चइल रइ आहे।
इसे भी पढें –
- पंचपरगनिया भासाक (Panchpargania Bhasha) सामाइन’ चिन्हाप
- पंचपरगनिया भाषा का नामकरण
- पंचपरगनिया भासा का जन्म / उद्भउ
- पंचपरगनिया संइगा केर चिन्हाप
सउबले बड़े काथा जखन ‘पंचपरगनिया भासा’ के अइन’ भासा केर बिदुआन आपन भासाक उपभासा कहत रहेन से सम’इए परमानंद गुरूजी पंचपरगनिया केर एसन-एसन बिसेसता के ल’गेक पासे राखलएं कि अइन’ भासाक बिदुआन के बाइध’ ह’एके इटा माने हलक कि पंचपरगनिया भासा कन’ भासाक उपभासा ना लागे बलकि एकटा आलेदा (स्वतंत्र) भासा
Panchpargania Adhunik Sahityakar परमानंद महतो (प्रेमा/प्रेम) जि केर बारे किछु एक लाइनर डांडि़
परमानंद गुरूजी पंचपरगनिया भासा साहित रूपी घर केर मुरधेइन खुंटा हेकएं। इमन केर बारे जानना कन’इ भी पंचपरगनिया भासा पेरेमी के जरूरी हेके। हेंठे किछु एक लाइनर रूपे देखाल जातेहे जेगिला परतिज’गि परीछाक नज’इरे आब’इसक हेके-
- जनम – 7 मार्च 1949
- बापेक नाम – परेश नाथ महतो
- माँएक नाम – परिबा देवी
- मेटरिक 1965, बी0ए0 -1970 (R.U)
- एम0ए0 – 1987 (पंचपरगनिया)
- पीएच0डी0 केर बिस’ए ‘‘पंचपरगनिया साहित्य का वर्णनात्मक अध्ययन’’ रहे किंतु स’ध पुरा नि करे पारलएँ ।
- इमन केर ‘‘पंचपरगनिया भाषा’’ किताब टाइ पंचपरगनिया भासा के सतंतर’ चिन्हाप देउआए आहे ।
- इमन केर ‘‘पंचपरगनिया भाषा’’ किताब टाहीं पंचपरगनिया बेआकरन केर पहिला चिन्हाप देखाएला ।
- 1982-83 मेंहेन पंचपरगनिया भासा बिकास समिति केर गठन करल जाए रहे से सम’इए इमन के सचिव पद केर भार देल जाए रहे ।
- परमानंद महतो आर राजकिशोर सिंह जी समितिक सहजग ले ‘मनसा मंगल’ नाटक के गीत संगीत केर साथे केसेट बाहराए रहएँ ।
- इमन दुइअ लग मिलकहन अनेक रकम केर गीत जेसन टुसु गीत, बिहागीत, मनसा गीत, झुमइर गीत, भादर एमाइन गीत गिलाकेर केसेट बाहराए रहएँ । जेटा छेतर’ मेंहेन बहुत नामकरा गुन माइन पाए रहे । इमन केर नामकरा ज’ड़ीक तेहें इमन दुइअ के ‘‘ताल’’ आर ‘‘बेताल’’ कहल जात रहे ।
- परमानंद महतो जी के 2013 इसबिए ‘‘झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा’’ केर दाराए ‘‘आखड़ा’’ सम्मान देल जाए आहे ।
- परमानंद महतो जी केर रचना –
- पंचपरगनिया भाषा – 1990 (भासा आर बेआकरन)
- जीबन पथेक फुल – 1990 (काइब)
- पुस पीठा – 2010 (कहनी)
- पंचपरगनिया लोक साहित्य और संस्कृति – 2012 (परधान संपादक)
- बांबरा – 2012 (कबिता संगरह) डाॅ0 दीनबंधु महतोक संगे
- पंचपरगनिया लोकगीत संग्रह – 2019
- पंचपरगनिया लोककथा संग्रह – 2012
- पंचपरगनिया छटे-खाट’ साहित – 2012
- डायरीक एकटा पात (पंचपरगनिया कहनी संगरह) – 2012
- पंचपरगनिया लोककथा – 2021
- पंचपरगनिया भासा साहित्य और व्याकरण – 2022