Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 9 हिंआ एक लाइनर केर रूपे देल जातेहे, संगी-साथी त’हरे जदि जे.एस.एस.सी केर तेआरि क’राला, चाहे पंचपरगनिया भासा केर प’ढ़ाइ क’राला त’ निचित रूपे इ एक लाइनर प’इंट गिला काम आइ। आसा आहे तोहरे स’उब लाभ उठाबा

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Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari अम्बिका स्वाँसी
- जनम – 18 जनवरी1976, गाँव – उलिडीह, तमाड़
- बापेक नाम – गुरूदयाल स्वाँसी, माँए – जयमनी देबी
- अत्आधुनिक साहितकार रूपे जानल जाएँला।
पढ़ाइ –
- एक ले पाँच कालास तक – रा.प्रा. वि. उलिडीह
- छ’ कालास रा.म.वि. सिंदुवारी
- सात ले दस तक हरिजन आवासीय बिद्यालय बुंडू
- 1990 मेंहेन मेटरिक पास करलएँ।
- 1992 मेंहेन इंटर पास करलएँ। (पी0पी0के0 काॅलेज बुण्डू)
- 1995 मेंहेन बी0ए0 पास करलएँ। (पी0पी0के0 काॅलेज बुण्डू)
- 2005 मेंहेन एम0ए0 (पंचपरगनिया) पास करलएँ (जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग)
- दिसंबर 2005 इसबिए यू0जी0सी0 नेट पास करलएँ (पंचपरगनिया केर तीसरा नेट पास करा)
- पीएच0डी0 विषय – ‘‘पंचपरगनिया लोकगीतों में जनजीवन’’
- पीएच0डी0 केर उपाधि – 2013 इसबिए डाॅ0 कुमारी बासंती केर निरद’सने करलएँ।
राजनीति –
- 1990 लेकइ राजनीतिक जीबने ढुकलएँ।
- झारखंड मुक्ति मोरचा केर सद’इस रहएँ।
- 2004 इसबि आस पासे समता पारटीक सद’इस रहएँ
- जुवा जदयू केर राइज इसतरिअ सद’इस बनलएँ।
- तार परे 2007 ले 2009 तक बाइस पेरसिडेंड बनलएँ।
- कांके विधानसभा ले चुनाव लड़ेक मन बनाए रहएँ किंतु नाइ लड़े पारलएँ।
इमन केर किताब –
- पंचपरगनिया लोकगीतों में जनजीवन – पीएच0डी0 स’ध परबंध,2014
- पंचपरगनिया लोकगीत – 2014 (संकलन)
- पंचपरगनिया बाउल गीत – 2014 (संकलन)
- नुपुर – 2014 (संपादन)

इमन केर आलेख –
- पाँचपरगना में नचनी नाच – दैनिक जागरन, 12 दिसंबर
- झारखंड की लोकप्रिय नृत्य शैली नटुवा नाच – दैनिक जागरन, 2013
- पाँचपरगनाक लोक संस्कृति नटुआ – अखड़ा, 2013
- पंचपरगनिया लोकगीतों में उधोवा का प्रेम रस – दृष्टिपात, 2014
- पंचपरगनिया लोकगीतों में धार्मिक चित्रण – दृष्टिपात, 2014
- पंचपरगनिया लोकगीतों में पारिवारिक सम्बन्ध की परम्परा – दृष्टिपात, 2014
- पंचपरगनिया लोकगीतों का बैशिष्ट्य – दृष्टिपात, 2014
- पंचपरगनिया वैवाहिक लोकगीतों में जनजीवन – सृजित, 2014
- पंचपरगनिया लोकगीतों का क्षेत्र विस्तार – अखड़ा, 2015
- आदिवासी समुदाय में नवीन साहित्य की अवधारणा – अखड़ा, 2015
- आदिवासी भाषा तथा साहित्य का विकास – सृजित, 2015
- ऋतु के आधार पर पंचपरगनिया लोकगीतों में जनजीवन – अनुसंधानिका रिसर्च जनरल, 2015
- राजकिशोर सिंह की साहित्य एवं संगीत साधना – विद्यावार्ता, महाराष्ट्र, 2015
- पंचपरगनिया लोकगीतों की परम्परा – नवपल्लव, 2015
- The development of the Adivasi Language and literature – Stuidies in globalization and tribal life in India किताब मेंहेन परकासित आहे।
सेमिनार –
- INTERNATIONAL SEMINAR INSTITUTE FOR SOCIAL DEVELOPMENT AND RESEARCH, GARI HOTWAR RANCHI, JHARKHAND, INDIA 6TH INTERNATIONAL SEMINAR ON “HUMAN RESOURCE” शोध आलेख:- मानव संसाधन: शिक्षा और प्रशिक्षण
- अन्तर्देशीय परिसंवाद ‘आदिवासी दर्शन और समकालीन आदिवासी साहित्य सृजन’ झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा, राँची झारखंड, शोध आलेख:- आदिवासी समुदाय में नवीन साहित्य की अवधारणा
- NATIONAL SEMINAR ‘IMPACT OF GLOBLIZATION ON TRIBAL LANGUAGE LITERATURE AND CULTURE’ SHANTINIKETAN UNIVERSITY शोध आलेख:- आदिवासी भाषा तथा साहित्य का विकास
- राष्ट्रीय सेमिनार ‘‘आधुनिक हिंदी साहित्य में साम्प्रतिक प्रयोग और परिवर्तन’’ हिन्दी विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची । शोध आलेख:- आधुनिक गद्य साहित्य में प्रयोग और परिवर्तन
- राष्ट्रीय सेमिनार:- ‘झारख्ंाडी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची । शोध आलेख:- पंचपरगनिया गद्य साहित्य में राष्ट्रीय चेतना
- राष्ट्रीय कार्यशाला कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवाकार्य विभाग, झारखंड सरकार (राँची) शोध आलेख:- पाँचपरगना के गीतकारों पर गुरूदेव की रचनाओं का प्रभाव ।
अन्य जानकारी
- इमन केर रचना बिसए पंचपरगनिया हेके किंतु भासा हिंदी आर इंगलिस हेके।
- इमन केर एकटा अपरकासित किताब आहे – ‘गुपूत धन’ (प्रेमचंद केर मुइख कहनी गिलाक अनुबाद)
- काम-काज – 2006 इसबिए रोजगार सेबक रूपे जगदान (नामकुम परखंडे)
- बरत’माने सिच्छक रूपे 2016 इसबि ले नामकोम परखंड केर महिलौंग गाँवे कारज’रत।

Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari पराग किशोर सिंह
- जनम – 10 सितंबर 1984, बुण्डू
- बापेक नाम – राजकिशोर सिंह, माँए – टुलु नायक
- इमन अत्याधुनिक साहितकार रूपे जानाएँला काहेकि इमन केर रचना 2000 इसबि केर बाद ले बेसी भागे पाउआएला ।
- सरकारी सिच्छक रूपे एखन खूँटी जिलाक मुरहू परखंडे काम कर’तहएँ
- डाॅ0पराग किशोर सिंह केर पहिला रचना – 1997-98 मेंहेन बिहान पतरिकाएँ छापाए रहे (आजादी केर पचास बछरे का पाली आर का हेजाली)
पढ़ाइ –
- एक ले पाँच कालास – पंडित केवला परसाद मइध बिद्दालये
- छ’ ले सात कालास – संत जेबियर हाइ इसकुल बुंडू
- आठ ले मेटरिक – एस एस हाइ इसकुल बंुडू
- मेटरिक – 2000 इसबिए
- इंटर – 2001, पी.पी.के. काॅलेज बुंडू
- बी0ए0, अर्थशास्त्र – 2005, पी.पी.के. काॅलेज बुंडू
- बापेक सलाहएँ एम.ए. पंचपरगनियाए करलएँ, 2008 मेंहेन
- नेट/जे0आर0एफ0 – 2009, पंचपरगनिया भासाक पहिला नेट/जे.आर.एफ
- सिच्छक परसिछन – सिमडेगा लेक
- पीएच.डी. टाॅपिक – ‘‘पंचपरगनिया लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन’’ (निरदेसक – डाॅ0 हरि उराँव)
- पीएच.डी. अवार्ड – दिसंबर 2016 मेंहेन
इमन केर किताब –
- जागरन – पंचपरगनिया काइब संगरह, 2014, (50 टा कबिता)
- पुरखा – पंचपरगनिया लोककथा संगरह, 2014 (20 टा कहनि)
- पंचपरगनिया मइधकालिन कबि आर उनखर रचना – 2014 (17 टा कबिक परिचय)
- पंचपरगनिया लोककथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन (शोध प्रबंध -2017)
- आधुनिक पंचपरगनिया साहितकार आर कलाकार – 2017 ( 27 टा साहितकार आर कलाकार)
- जागरन काइब संगरह टाएँ मुक्त छंद, लयात्मक छंद आर गीति छंद केर बेब’हार करल जाए आहे ।
- संतोष साहू ‘प्रीतम’ इमन कर तुलना दिनकर, पंत, निराला आर प्रसाद संग कइर आहएँ ।
इमन केर आलेख –
- पंचपरगनिया लोककथाओं का वर्गीकरण – 2013, सृजित
- पंचपरगनिया लोककथाओं में लोक विश्वास – 2014, दृष्टिपात
- पंचपरगनिया लोककथाओं में जीवन दर्शन – 2014, दृष्टिपात
- पंचपरगनिया लोकसाहित्य एवं शिष्ट साहित्य में अंतर संबंध – 2014, दृष्टिपात
- पंचपरगनिया का मध्यकाल और संत कबि बरजुराम ताँती – 2014, दृष्टिपात
- लोककथाओं में साहित्यिक अध्ययन के आधार – सृजित
- आधुनिक पंचपरगनिया काव्य में नवीन प्रयोग – अखड़ा
- परमानन्द और प्रीतम के कहानी साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन – विद्यावार्ता
- Globalization and cultural heritage of the tribal Socielies of Jharkhand – Stuidies in globalization and tribal life in India किताब मेंहेन परकासित आहे।
- पंचपरगनिया लोक कथाओं में संवेदना और सौन्दर्य बोध – अनुसंधानिका
- समकालीन आदिवासी साहित्य में सृजन के स्वर – अखड़ा
- पंचपरगनिया लोककथाओं में कथावस्तु – नवपल्लव – 2015
सेमिनार –
- INTERNATIONAL SEMINAR INSTITUTE FOR SOCIAL DEVELOPMENT AND RESEARCH, GARI HOTWAR RANCHI, JHARKHAND, INDIA 6TH INTERNATIONAL SEMINAR ON “HUMAN RESOURCE” शोध आलेख:- प्रवास और मानव संसाधन
- अन्तर्देशीय परिसंवाद ‘आदिवासी दर्शन और समकालीन आदिवासी साहित्य सृजन’ झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा, राँची, झारखंड । शोध आलेख – समकालीन आदिवासी साहित्य में सृजन के स्वर
- NATIONAL SEMINAR ‘IMPACT OF GLOBLIZATION ON TRIBAL LANGUAGE LITERATURE AND CULTURE’ SHANTINIKETAN UNIVERSITY शोध आलेख:- वैश्वीकरण और आदिवासी समाज का सांस्कृतिक धरोहर
- राष्ट्रीय सेमिनार ‘‘आधुनिक हिंदी साहित्य में साम्प्रतिक प्रयोग और परिवर्तन’’ हिन्दी विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची । शोध आलेख:- आधुनिक पंचपरगनिया काव्य में प्रयोग एवं परिवर्तन
- राष्ट्रीय सेमिनार:- ‘झारख्ंाडी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची । शोध आलेख:- पंचपरगनिया पद्य साहित्य में राष्ट्रीय चेतना के स्वर
- राष्ट्रीय कार्यशाला ‘झारखंड के चिन्हित पुरातात्विक स्थल’ झारखंड सरकार, राज्य संग्राहालय, राँची, शोध आलेखः- पाँचपरगना के हारडीह मंदिर का पुरातात्विक अध्ययन
- राष्ट्रीय कार्यशाला कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवाकार्य विभाग, झारखंड सरकार (राँची) शोध आलेख:- पंचपरगनिया काव्य श्रृजन में गुरूदेव प्रेरणा स्रोत

इमन केर आउअ’इआ किताब –
- अभूला इआइद
- अनुबाद किताब रूपे
इन्हे भी देखें :-
- Panchpargania Test – 1
- Panchpargania Test-2
- panchpargania test – 3
- panchpargania tes – 4
- Panchpargania test-5
- Panchpargania Test -6
- Panchpargania Test-7
- Panchpargania Prakirna Sahit Ker Best Jankari
- पंचपरगनिया आधुनिक साहित्यकार
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 2
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 3
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 4
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 5
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 6
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 7
- Panchpargania Adhunik Sahityakar Ker Best Jankari 8
सारांश
इ आरटिकल टा केसन लागलग जरूर कमेंट करबा। एसने बेस-बेस परीछा उपजगि आरटिकल पढ़ेक तेहें हामरेक बेबसाइट टाके र’जे भिजिट क’रबा। एकर अलावा पंचपरगनिया भासा संबंधी केसन जानकारी चाहाला उटाकउ कमेंट केर दाराए बताबा। लेगे सउब के जोहार कर’तिहि।