Panchpargania Maidhyakalin Kavi Best Jankari 4

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Panchpargania Maidhyakalin Kavi हिंआ एक लाइनर केर रूपे देल जातेहे, संगी-साथी त’हरे जदि जे.एस.एस.सी केर तेआरि क’राला, चाहे पंचपरगनिया भासा केर प’ढ़ाइ क’राला त’ निचित रूपे इ एक लाइनर प’इंट गिला काम आइ। आसा आहे तोहरे स’उब लाभ उठाबा

Panchpargania Maidhyakalin Kavi हरि मछुआ

  •  जनम – 1820, गाँव – बाबईकुंड़ी, तमाड़
  •  बापेक नाम – महरि मछुआ
  •  हरि मछुआ, महरि मछुआक एक मातर’ बेटा रहे।
  •  इमन बेसी पढ़ा लिखा नि रहएँ किंतु सतसंग केर आधारे रामायन, माहाभारत, साराबली, भागबत एमाइन गिलाक बेस जानकार रहएँ।
  •  इमन छुआ के पढ़ा-लिखा सिखात रहएँ।
  •  गाँवे इमन के आदर कर साथ हरि मासटर कहल जात रहे।
  •  सारजोमडीह, मारधान केर ठाकुर आर तामाड़ राजा इमन के बहुत सम्मान करत रहएँ।
  •  तामाड़ राजा इमनके सात काठा खेत दे रहएँ।
  •  हरि मछुआक छ’ टा बेटा बेटि रहएँ। बेटा – ख्ेातु, नटु। बेटि-सुदन, मधु, दुरगा आर पारबती।
  •  इमन केर काइब बिस’ए सिंगार रसेक राधा-किसनक पेरेम रहे।
  •  इमन बिहा गित केर’ रचना कइर आहएँ, जेटाएँ सिब-पारबती केर बाचिक पाउआएला।
  •  कहल जाएला कि इमन ‘‘चाइर खस’’ काएदा मेंहेन रचना कइर रहएँ, जेटाएँ कंदउ ले पढ़ले एके अरथ’ बाहरात रहे। संगे-संगे बेमातरिक छंत केर रचनाउ कइर आहएँ।
  •  हरि मछुआक छटे बेटिक बिहा लाँदुपडीह गाँव मेंहेन हए आहे।
  •  हरि मछुआ केर बिहा गितेक संकलन जगन्नाथ महतो ‘‘पंचपरगनिया बिहा गीत’’ (1943) मेंहेन कइर आहएँ।
  •  इमन एकटा कबि, मासटर, फट’ बनाइआ, मुरति बनाइआ आर कुसल सिल्पकार’ रहएँ।
  •  कहल जाएला कि इमन मारधान केर ठाकुर साहेब केर घ’ड़ाएँ चापल मुरति बनाए रहएँ। इटाक तेंहे ठाकुर साहेब इमन के मउजा पुरसकार मांगे कइ रहएँ किंतु हरि मछुआ मातर’ ध’ति गंजी मांगलएँ।
  •  इमन केर चरितर’ सहज-सरल, आर एकटा नामकरा गुरू केर रकम रहे।
  •  इमन केर मिरतु 98 बछरे हए रहे।
  •  इमन कर बारे कहल जाएला कि इमन जग साधनाउ करत रहएँ अहे तेहें 90 बछर केर उमेरउ जुआन रकम गाते बल राखत रहएँ।
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Panchpargania Maidhyakalin Kavi

Panchpargania Maidhyakalin Kavi राधुआ (राधा मोहन सिखर)

  •  जनम – 1875 इसबि, गाँव – बाबईकुंड़ी, मिरतु – 1945
  •  बापेक नाम- आनंद सिखर
  •  इमन एक पुत रहएँ।
  •  इमन गाना-बाजाना, गीत रचना करेक मेंहेन अस्ताद रहएँ।
  •  इचागढ़ेक राजा एकधं इमनके रास नाचे परथम पुरस्कार दे रहएँ।
  •  इमनेक सभाप साधु संत रकम रहे। इमन रामायन, महाभारत, साराबली एमाइन गिलाक अइधन करत रहएँ।
  •  इमन कापाड़े तिलक फटा आर दिअ काने छेंदुआए के कान फुल पिंधत रहएँ।
  •  इमन केर रचना बिस’ए – राधा किसन’ केर सिंगार रसेक आहे।
  •  इमन केर भासा-ठेठ पंचपरगनिया हेके।
  •  इमन कर गिते भनिता रूपे ‘‘राधुआ’’ पाउआएला।
  •  इमन आपन आनगाँए नाचत-नाचत केइ गिर के मइर जाए रहएँ।

Panchpargania Maidhyakalin Kavi खुदीराम सिंह

  •  जनम – 1904, सिल्ली परगना, सिल्ली (राजपुत संलंकी परिबारे)
  •  बापेक नाम – सिबचरन सिंह, माँएक नाम – कुंती देबी
  •  सिल्ली राजदरबारे कबिराज रहएँ।
  •  इमन झाड़-फुंक केर’ काम करत रहएँ।
  •  इमन दुइ धं बिहा कइर रहएँ, पहिल धं बाइगन कुदरे किंतु उ चांड़ेइ मइर गेलक, तार परे सिल्ली मेंहनेइ दलगबिंद सिंह केर बेटी उज्जला संगे बिहा करलएँ। इमन केर बेटाक नाम राधेसाम सिंह हलक।
  •  इमन आपनक गिते ‘‘खुद’’ नामेक भइनता देत रहेन।
  •  इमन नामकरा बाजनदार रहएँ। केकउ के हले आकरसित करेक खेम’ता राखत रहएँ।
  •  इमन केर एकटा नाचनी रहे।
  •  इमन छ’टा पाला बद्ध रचना कइर रहएँ। जेगिलाएँ – माधुरज’-बिलास, नब’ निकुंज आर मान-सखी ढेइर खेआति पाए रहे।
  •  इमन केर चेला गिरिधारी करम’कार (पुरूलिया) इमन केर किछु गित के ‘‘झुमर कउमुदी’’ मेंहेन छापाए आहेन।
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Panchpargania Maidhyakalin Kavi

Panchpargania Maidhyakalin Kavi बिदुमनी

  •  जनम – 1882 इसबि, गाँव – बाबाइकुंड़ी, तामाड़
  •  बापेक नाम – बुदु बाबु (नामकरा मुंडारी कबि)
  •  इमन तीन भाइ बहिन रहएँ – एक भाइ दुइ बहिन (जया आर बिदुमनी)
  •  पढ़ाइ लिखाइ – पाराथमिक असतर केर रहे।
  •  इमन बार’ बछर केर उमेइरे कबि बइन जाए रहेन।
  •  पतिक नाम – नाराइन मुंडा
  •  बिहा – पंदर’ सल’ बछ’रेक उम’इरे तामाड़े हए रहे।
  •  छुआ पुता- दुइ टा बेटि (उमा आर सुब’दनी)
  •  इमन केर पतिक मरन चांड़ेइ हए रहे। (हाड़ि रगे)
  •  पतिक मरन हल परे नइहर चइल आलक।
  •  इमन केर काइब रचनाक आधार किसन’ भगमान रहएँ।
  •  इमन आपन के राधा सरूपा बुइझ कहन किसन’ पेरेमेक रचना कइर आहएँ।
  •  इमन केर भासा ठेठ पंचपरगनिया हेके।
  •  इमन एकटा कबइतरि, गितकाइआ आर बेस नरतक’ रहएँ।
  •  इमन केर मिरतु लगभग 65 बछर केर उम’इरे हए आहे।
  •  इमन केर मिरतु 1947 इसबिए हए आहे।
  •  इमन के ‘‘पागली’’ कहल जाएला।
  •  इमन आपन रचना मेंहेन काँहु-काँहु ‘पागली’ भइनता दे आहएँ।
  •  इमन के पंचपरगनिया केर ‘‘मीरा’’ कहल जाएला।

Panchpargania Maidhyakalin Kavi अचरज सिंह

  •  जनम – 1880, गाँव – सोनाहातु, बांड़दा परगना, सोनाहातु परखंड।
  •  बापेक नाम – बलराम सिंह, माँए – एकटा बिहाली आर छ’ टा खाउआसिन मइधे पाँचवा खाउआसिन केर बेटा रहएँ।
  •  इमन जुआनि सम’इए खुब बदमास रहएँ।
  •  एकधं एकटा बेटि छुआ के बेइच रहे तखन एकर उपर केंस हए जाए रहे।
  •  इमनेके 1935 मेंहेन सारजमहातु गाँवे गिरिफतार करल जाए रहे।
  •  इमन केर दादाक नाम हिरदयनाथ सिंह रहे।
  •  इमन के खुंटि जेले राखल जाए रहे।
  •  इ खंुटि जेल ले सोनाहातुक लगेक माइधमे आपन दादा के चिठि लिख पाठाए रहे आर आपन दादा के निजेक भुल जानाए रहे।
  •  एकर दादा एके 1938 इसबिए जमानते छ’ड़ाए रहे।
  •  जेल ले आल परे साधु बइन जाए रहे।
  •  एके जेल ले आल परे गाँवेक लग साधु कहत रहेन।
  •  इमन आपन अंतिम जीबनकाल आपन बेटिघर लोवाहातु मेंहेन बिताए रहेन।
  •  इमन आपन गित रचनाएँ भइनता रूपे साधु चाहे साधुआ जड़त रहएँ।
  •  इमन 1965 इसबिए आपन बेटि घरेइ मइर रहएँ। (काँहु मरन 1955 पाउआला)
  •  ‘‘जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग’’ बाटे ले मरल परउ इमनेके ‘‘अगरज पुरूसकार’’ देके सनमान देल जाए आहे।
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Panchpargania Maidhyakalin Kavi

Panchpargania Maidhyakalin Kavi भबप्रीता नंद ओझा

  •  जनम – 1868 ले 1880 केर मांझे (लगभग)
  •  पंचपरगनिया मइधकालीन साहित केर हसताछर कहल जाएँला।
  •  इमन बाबाधाम केर पांडा रहएँ।
  •  इमन केर बाप चाईबासा केर पांडा रहएँ आर हिंआइ भबप्रीता जि कर जनम हए रहे।
  •  इमन बइसनब परंपरा केर कबि हेकएँ।
  •  इमन केर रचना राधा किसन’क संजग आर बिजग कर लेकहन आहे।
  •  इमन कर गित रचना ‘‘वृहत झूमर रसमंजरी’’ मेंहेन संकलित आहे।
  •  इमन कर गित रचनाएँ चंडीदास आर चइतन’ माहापरभुक छाप देखाएला।
  •  इमन केर गित रचनाएँ बीर रस, करून रस, सांत रस आर सिंगार रस बेसि देखे पाउआएला।
  • बाघमुंडीक हेंसला मेंहेन इमन एकटा गित गितकाए रहएँ, गितटा इ रकम आहे –

आदि कबि नारायन, प्रीति सिंह, सायरतन
आनंद, अभिनंद’, गउरांगिया दास गो
सेई कंुजे नागर’ करलएँ बास गो।
दीना, बरजुराम, रामकिसट’, अरजुन’
उदय दुरज’धन, दास गो
सेई कंुजे नागर’ करलएँ बास गो।
खेतु, चामु, सह’ कबि कान्हु
गरा, चांद, नरत्तमा दास गो
सेई कंुजे नागर’ करलएँ बास गो।
कहे भब’प्रीता सुन’गो ललिता
हेसलाय मधुरास उल्लास गो
सेई कुंजे नागर’ करलएँ बास गो।।

इन्हे भी देखें :-

सारांश

इ आरटिकल टा केसन लागलग जरूर कमेंट करबा। एसने बेस-बेस परीछा उपजगि आरटिकल पढ़ेक तेहें हामरेक बेबसाइट टाके र’जे भिजिट क’रबा। एकर अलावा पंचपरगनिया भासा संबंधी केसन जानकारी चाहाला उटाकउ कमेंट केर दाराए बताबा। लेगे सउब के जोहार कर’तिहि।


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