Panchpargania Bhasha Priwar

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Panchpargania Bhasha Priwar

Panchpargania Bhasha Priwar :- भासा बइगानिक सउब भिनु – भिनु भासा गिलाके समानता केर आधारे भिनु – भिनु भासाइक तत् ले जुकत’ भासा के एक बरग’ चाहे एक गठ मेंहेन राखेक चेस्टा कइर आहएँ। एहे समानता केर आधारे भिनु – भिनु भासा गिला भिनु – भिनु बरग’ चाहे गठ मेंहेन बाँटेक टाके भासा केर परिबारिक बरगिकरन कहल जाएला।

भासा परिवार

भासाबिदुआन केर अनुजाइ इ रकम केर बाँटा (बरगिकरन) करले कन’ भी भासा केर बारे पुस्ट’ आर सुछ्म’ गेआन हएला, इआनि उ भासा टाके बुझेक मेंहेन आसानि हएला।

भाषा परिवार वर्गीकरण का आधार| Panchpargania Bhasha Priwar

Panchpargania Bhasha Priwar :- भासा मेंहेन पाउआइआ रचना तत् आर अरथ’ तत् केर आधार मेंहेन करल बाँटा (बरगिकरन) के परिबारिक बरगिकरन कहल जाएला। इ रकम भासा केर परिबारिक बरगिकरन मेंहेन अरथ’ तत् आर संबंध तत् दुइअ केर उपर बिसेस धेआन देल जाएला। जेसन परिबार केर इतिहास मेंहेन केउ आदि पुरूस रहेला आर फेइर बंस’ बाढे़ला, सेइ रकमे एसन बुझल जाएला कि आइज ज’तनाइ भासा संसारे आहे उगलाक कन’ न’ कन’ आदि भासा रइ ह’इ।

Panchpargania Bhasha Priwar
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पंचपरगनिया भाषा का भाषा परिवार| Panchpargania Bhasha Priwar

Panchpargania Bhasha Priwar :- भासा परिबारिक नज’इरे पंचपरगनिया कन’ छेतर’ बिसेस केर भासा बुझाएला। पंचपरगनिया भासा टा मागधी अपभ्रंश ले बिकसित मानल जाएला जेटाक सझा संबंध भार’पिअ, भारत – इरानि साखा केर भारतीय आरज’ उपसाखा संग आहे। इ रकम पंचपरगनिया आरज’ (आर्य) भासा परिबार केर भासा हेके।

पंचपरगनिया भासा ( Panchpargania Test ) के सवाल -जवाब का Test देने के लिये निचे दिए लिंक पर Click करें। ये सवाल आगामी आने वाले Jharkhand के JPSC और JSSC प्रतियोगी परीक्षाओं के उपयोगी सिद्ध होंगे।

डाॅ. बी. पी. केसरी जी का मत

इटाक संबंध मेंहेन डाॅ. बी. पी. केसरी जि केर मत इ रकम आहे- “झारखंड क्षेत्र में तीन प्रजातीय वर्गो की अनुरूप तीन परिवार की भाषाएँ भी प्रचलित है। अग्नेय परिवार की भाषाएँ – मुण्डारी, हो, संताल, खडि़या आदि है। द्रविड़ परिवार की भाषाएँ-कुड़ूख, माल्तो, खेन्द्रोय, किसानी आदि और आर्य भाषा परिवार की भाषाएँ नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया आदि।”

Panchpargania Bhasha Priwar 1
Panchpargania Bhasha Priwar

अन्य स्त्रोत

राँची ले छापाल दैनिक आज केर एकटा अंक मेंहेन लिखल आहे – “जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में नौ सांस्कृतिक इकाई कार्यरत है। चार इकाइयाँ आर्य (नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया) चार इकाइयाँ आग्नेय भाषा (मुण्डारी, संताली, हो, खडि़या) तथा एक इकाई द्रविड़ (कुड़ूख) की है।”

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राधागोविन्द महतो जी का मत

राधागोविन्द महतो जि क’इ आहएँ- “जिस प्रकार कोलभील, साँउताल, मुण्डा, हो-एक भाषा गोष्ठी (आग्नेय परिवार) की है, उसी प्रकार कुड़माली, खोरठा, नागपुरिया, पंचपरगनिया, सदानी, छत्तीसगढ़ी, बुन्देलखण्डी आदि भू-मध्य सागरीय भाषाएँ एक ही भाषा गोष्ठी (आर्य) के हैं।

सारांश

उपरेक बिबेचन केर आधारे कहल जाए कि पंचपरगनिया भासा भारतीय आरज’ (आर्य) भासा परिबार केर भासा हेके ।


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