पंचपरगनिया संज्ञा/Panchpargania Sangya:- पंचपरगनिया संज्ञा केर भितरे हामरे देखब कि पंचपरगनिया संज्ञा केके कहल जाएला आर एकर परिभासा केसन रूपे बिदुआरन सउब दे आहएँ। एकर आलावा पंचपरगनिया संज्ञा केर भितरे हामरे देखब कि एकर भेद हिन्दी रकमे आहे न’ हिन्दी ले आलेदा आहे। संगे-संगे देखब कि अलग-अलग भेद केर अनुजाइ अकर केसन-केसन उदाहरन आहे।
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संज्ञा की परिभाषा –
जन सब्द’ टाले कन’ चिज चाहे जिनिस, जाएगा, भाअ एमाइनेक नाम केर ब’ध हएला अके संइगा कहल जाएला । एआनि संइगा असन बिकारी सब्द’ के कहल जाएला जेटा कन’ बिसेस जिब, जिनिस, भाअ आर कन’ खास जाति चाहे जिब केर चिन्हाप कराएला ।
पंचपरगनिया भाषा के विद्वानों के अनुसार संज्ञा –
पंचपरगनियाएँ संइगा केर भेद लेकहन बिदुआन एकमत नेखएँ, केउ दुइ त’ केउ तिन त’ केउ हिंदीक रकम पाँचटा कइ आहएँ ।
प्रो. परमानंद महतो जी के अनुसार पंचपरगनिया संज्ञा के भेद –
प्रो. परमानंद महतो जि पंचपरगनियाएँ संइगा केर तिनटा भेद केर चरचा कइर आहएँ –
- जातिबाचक
- बेक्तिबाचक
- भाअ बाचक
इमन समुह बाचक के जातिबाचक आर बेक्तिबाचक केर भितरेइ राइख आहएँ । आर दर’इब बाचक के जाति बाचक केर भितरे ।
डाॅ. चन्द्र मोहन महतो जी के अनुसार पंचपरगनिया संज्ञा के भेद –
डाॅ. चन्द्र मोहन महतो जि संइगा के दुइ भागे (धर’ने) बाँइट आहएँ –
- जीबा
- अजीबा
जीबा –
जीबा माने जीबधारी । एआनि जीबा केर भितरे असन जीबधारी नाम गिला के राखल जाए आहे जेगिला चले पारे, कहे पारे आर सउब किछु करउ पारे, निमुद – पकामाकड़, चरइचुनगुनी, मानुस, बेटा, बेटी, नर, नारी, बाघ, सिआड़, छागेइर एमाइन ।
अजीबा –
अजीबा माने जेकर जीउ नेखे । एआनि अजीबा नाम उ जिनिस केर नाम के कहल जाएला, जेगिला ना चले पारएँ, ना कहे पारएँ, आर ना किछु करे पारएँ । निमुद – बही, किताब, कांथा, लुगा, ग’हम, एमाइन । (इमन केर अनुजाइ गाछ, पात, घांस एमाइन के अजीबा माहनेइ राखल जाए आहे)
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डाॅ. करम चंद्र अहीर जी के अनुसार पंचपरगनिया संज्ञा के भेद –
डाॅ. करम चंद्र अहीर जी संइगा केर पाँच भेद कइर आहएँ जेगिला इ रकम आहे –
जातिबाचक संइगा –
ज’न सब्द’ लेक कन’ जिनिस चाहे जीब केर जानकारी पाउआएला उटाके जातिबाचक संइगा कहल जाएला । जेसन – कुकुर, गउ (माँ), छुआ, गाछ, पाहाड़, नदि, मानुस (ल’ग) घर, पंड़की, च’रइ, भाइ, बहिन, गाइ, गरू, भालु, बिलाइ एमाइन ।
बेक्तिबाचक संइगा –
ज’न सब्द’ ले कन’ एकटा (बिसेस) ल’ग, जिनिस, चाहे जाएगा एमाइन केर ब’ध हएला, उटाके बेक्तिबाचक संइगा कहल जाएला । जेसन – राम, गीता, राढ़ु, कांची, राँची, कंच’, सिबनाबाबा, ककर’, माघ, फागुन, जितुआ, बुंड़ु, राहे, तमाड़ एमाइन ।
समुहबाचक संइगा –
ज’न सब्द’ लेक कन’ जिनिसेक हुंड़ा (इकट्ठा), ल’ग केर भीड़, कुधा (एकत्रित), चाहे जामा हल केर पाछनान (जानकारी) मिलेला उटा के समुहबाचक संइगा कहल जाएला । जेसन – बाजार, भीड़, मेला, हाट, झंपा, माछेइर/साग/मरचि/पेआज/रसुन एमाइन केर खेजा, जुलुस, झुंड़, दल, बरग’ सेना, मिटिंग एमाइन ।
दर’इब बाचक संइगा –
दर’इब केर माने ह’एला कन’ जिनिस । एआनि जन संइगा ले कन’ चीज चाहे बसतु केर बारे चिन्हाप (पाछनान) मिलेला उटाके दर’इब बाचक संइगा कहल जाएला । जेसन – घिउ, दुध, स’ना, रूपा, नुन, मरची, ग’बर, सुइ, सुता, ड’ट (कलम), किताब, क’पी, सिल’इट, थ’इला, ल’टा, छिपि एमाइन ।
भाअबाचक संइगा –
ज’न सब्द’ ले कन’ ल’ग चाहे जिनिस केर गुन केर पाछनान (जानकारी/चिन्हाप) मिलेला उटाके भाअ/भाव बाचक संइगा कहल जाएला । जेसन – पिआस, भुख, नींद, र’ग, निमन (सुइध), नाभान, उठान, अकबकी, दुलार, चिकन, चालाक, सुंदर, बुढ़ारी, फुरती, फुटानी, सेंखी, द’एआ, चेंका, तिता, गुरूआ, नुनछिआ, दुखान, जलन, जुआन, फेदान (सुसति), संगी, सतरू एमाइन ।
बिसेस काथा –
कुछ बिदुआन केर मत हेके कि संइगा केर समुह बाचक आर दर’इब बाचक केर अलग से भेद करेक दरकार नेखे । बासतब काथा एहे टाइ हेके कि इ दुइअ संइगा के जातिबाचक चाहे संइगाक अनुजाइ बेक्तिबाचक मेंहनेइ राखल जाना चाहि ।